नीतीश कैबिनेट विस्तार में तेज प्रताप यादव, रामानंद यादव, विजय चौधरी समेत 31 विधायक बने मंत्री

पटना,            बिहार में गठित नीतीश कैबिनेट का पहला विस्तार आज राजभवन में हुआ। बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने मंगलवार की सुबह साढ़े ग्यारह बजे इन सभी लोगों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। मंगलवार को 31 चेहरे बतौर मंत्री शपथ ली. जदयू ने अपने कोटे से पुराने चेहरों को ही दोहराया है। खबर है कि शाम चार बजे के बाद सभी नए मंंत्री पदभार भी ग्रहण कर लेंगे।   

लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप शपथ लेने वाले पहले 5 विधायकों में शामिल रहे। एक साथ पांच विधायक विजय चौधरी, बिजेंद्र यादव, तेज प्रताप, आलोक मेहता व अफाक आलम ने मंत्री पद की शपथ ली। उसके बाद अशोक चौधरी, श्रवण कुमार, लेसी सिंह, सुरेंद्र प्रसाद, डॉ॰ रामानंद यादव ने मंत्री पद की शपथ ली। उसके बाद मदन सहनी, संजय झा, संतोष सुमन, ललित यादव और कुमार सर्वजीत ने ली शपथ। उसके बाद शीला मंडल, प्रो चंद्रशेखर, सुमित कुमार सिंह, समीर महासेठ और सुनील कुमार ने ली शपथ। उसके बाद जमा खान, जितेंद्र राय, सुधाकर सिंह, जयंत राज, अनीत देवी ने शपथ ली। उसके बाद इसराइल मंसूरी, सुरेंद्र राम, कार्तिक सिंह, शहनवाज आलम, मुरारी गौतम और मोहम्मद शमीम ने राजभवन में ली शपथ। राजभवन में राज्यपाल फागु चौहान के आदेश से राष्ट्रगान के साथ बिहार मंत्री मंडल का विस्तार कार्यक्रम खत्म हो गया. इसमें 31 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली।

पटना स्थित राजभवन में नीतीश कुमार की नई कैबिनेट का शपथ ग्रहण समारोह 52 मिनट तक चला। एक साथ 5 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। कुल 31 नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली, जिनमें से आरजेडी से 16, जेडीयू से 11, कांग्रेस से 2, हम से एक और एक निर्दलीय ने शपथ ली। राज्यपाल फागू चौहान ने सभी नए मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।

महागठबंधन की नई सरकार में सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखकर मंत्री बनाए गए हैं। ओबीसी-ईबीसी से सबसे ज्यादा 17, दलित- 5 और 5 मुस्लिम शामिल हैं। NDA गठबंधन के मुकाबले अगड़ी जातियों का प्रतिनिधित्व इस बार घटा है। पिछली बार अपर कास्ट के 11 मंत्री थे, जो इस बार घटकर 6 हो गए हैं। इस बार राजपूत जाति से सिर्फ 3 मंत्री बने हैं, जबकि एनडीए गठबंधन में 5 राजपूत शामिल थे। वहीं पिछली बार की तुलना में इस बार ब्राह्मण मंत्री 2 कम हो गए हैं। सिर्फ एक को ही बनाया गया है। राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह राजपूत समुदाय से आते हैं। वही, बाहुबली नेता अनंत सिंह के करीबी कार्तिक सिंह भूमिहार हैं। दलित समुदाय से राजद ने सुरेंद्र राम और कुमार सर्वजीत को मंत्री बनाया गया है। अति पिछड़ा से अनीता देवी और वैश्य समाज से समीर महासेठ को मंत्री बनाया गया है।वहीं पिछली बार OBC-EBC से 13 मंत्री थे, जबकि मुस्लिम 2 मंत्रिमंडल में शामिल थे। मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा फोकस ओबीसी और ईबीसी पर किया गया है। जाति की बात करें तो सबसे ज्यादा यादव जाति के 8 विधायक इस बार मंत्रिमंडल में शामिल हैं। राजद की तरफ से 7 और जदयू की तरफ से एक यादव विधायक मंत्री बने हैं। पिछले मंत्रिमंडल में इस जाति से सिर्फ 2 मंत्री थे।

जदयू की बात करें तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुर्मी जाति से आते हैं तो उन्होंने अपनी ही जाति से एक और मंत्री बनाया है श्रवण कुमार को। नीतीश कुमार ने अगड़ी जाति के 3 लोगों को प्रतिनिधित्व दिया है। इसमें विजय चौधरी भूमिहार समाज से आते हैं। संजय कुमार झा ब्राह्मण जाति से आते हैं। लेसी सिंह राजपूत जाति से आती हैं। जेडीयू तरफ से यादव मंत्री के रूप में विजेंद्र यादव एक बार फिर से मंत्री पद की शपथ लिए हैं। नीतीश कुमार ने अपने एकमात्र मुस्लिम चेहरे जमा खान को फिर से शपथ दिलाया है। जयंत राज कुशवाहा और शीला मंडल धानुक समाज से आती हैं, इन्हें भी दोबारा मंत्री बनाया गया है। वहीं, अति पिछड़ा के तौर पर मदन सहनी तो दलित समुदाय से सुनील कुमार और अशोक चौधरी मंत्री बने हैं।

कांग्रेस की तरफ से दलित समुदाय से मुरारी गौतम को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है और मुस्लिम चेहरे के तौर पर अफाक अहमद को मंत्री बनाया गया है।

जीतन राम मांझी की पार्टी हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष कुमार सुमन एक बार फिर से मंत्री बने हैं। यह महा दलित समाज से आते हैं। निर्दलीय के तौर पर सुमित कुमार सिंह ने एक बार फिर से शपथ लिया है जो राजपूत समुदाय से आते हैं।

राजभवन में मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान एक बार फिर अव्यवस्थाओं का देखने को मिला। भीड़ ज्यादा होने की वजह से समारोह स्थल पर कुर्सियां कम पड़ गईं। इस वजह से अफरातफरी का माहौल रहा। पत्रकारों को सबसे पीछे वाली विंग में जगह दी गई। इस कारण उन्हें भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

विपक्षी पार्टी बीजेपी लगातार लॉ एंड ऑर्डर को लेकर सवाल खड़ा करती रहती है। ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि नीतीश मंत्रिमंडल में जो भी मंत्री शामिल हैं, उनका क्रिमिनल रेकॉर्ड क्या है। कैमूर जिले के चैनपुर विधानसभा सीट से बीएसपी के टिकट पर चुनाव जीते जमा खान जेडीयू में शामिल हो गए और नीतीश कुमार ने उन्हें मंत्री बना दिया। भभुआ के अलग-अलग थानों में इन पर पांच केस दर्ज है।बहादुरपुर सीट से जदयू विधायक मदन सहनी पर बहादुरपुर और घनश्यामपुर थाने में एक-एक मामले दर्ज है। हसनपुर से विधायक लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव पर पटना के अलग-अलग थानों में चार केस दर्ज है। इसमें दहेज जुड़ा मामला भी शामिल है।उजियारपुर से राजद विधायक आलोक कुमार मेहता पर एक क्रिमिनल केस दर्ज है। राजद की टिकट पर बेलागंज सीट से चुनाव जीतनेवाले सुरेंद्र यादव पर कुल 9 आपराधिक मामले दर्ज हैं। दरभंगा ग्रामीण सीट से चुनाव जीतनेवाले ललित यादव पर पटना के थाने में एक केस दर्ज है।राजद के बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह के करीबी और पटना के एमएलसी कार्तिक कुमार पर कुल चार मामले दर्ज हैं। बिहार राजद के अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे और रामगढ़ के विधायक सुधाकर सिंह पर दो केस चल रहे हैं।बोधगया सुरक्षित क्षेत्र से चुनाव जीतने वाले सरबजीत कुमार (कुमार सर्वजीत) पर पटना के थाने में एक केस दर्ज है।मुजफ्फरपुर के कांटी से आरजेडी विधायक मोहम्मद इजरायल मंसूरी पर दो केस दर्ज हैं।समस्तीपुर से राजद के टिकट पर चनाव जीते अख्तरुल इस्लाम शहीन पर कुल पांच केस दर्ज है।एआईएमआईएम की टिकट पर जोकीहाट से जीतने के बाद राजद में शामिल हुए शहनवाज को मंत्री बनाया गया है। चुनावी हलफनामे के मुताबिक उन पर एक केस दर्ज है। मढ़ौरा से राजद विधायक जितेंद्र कुमार राय पहली बार मंत्री बने हैं, उन पर एक केस भी दर्ज है।छपरा के गरखा सीट से राजद विधायक बने सुरेंद्र राम पर दिघवारा थाने में चार केस दर्ज है।

चेनारी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने वाले मुरारी गौतम पर एक आपराधिक मामला दर्ज है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन पर औरंगाबाद के थाने में एक केस दर्ज है। चकाई विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव जीते सुमित कुमार सिंह पर पांच आपराधिक मामले दर्ज है।

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का पटना आना अंतिम समय में स्थगित हो गया । कल तक उनके पटना आने की खबर थी, लेकिन लालू यादव की तबीयत ठीक नहीं होने के कारण उनका पटना आना कैंसिल हो गया । लालू यादव शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हो पायें। महागठबंधन की इस नई सरकार में तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार की अगुवाई वाले मंत्रिमंडल में एमवाई समीकरण से इतर ए टू जेड समीकरण का फार्मूला लागू किया है। इसको लेकर पक्ष से ज्यादा विपक्ष की नजर थी। तेजस्वी ने अपने वादे के अनुसार इसे पूरा करने का प्रयास किया है। यादव और मुस्लिम के साथ-साथ भूमिहार जाति से आने वाले चेहरे को भी कैबिनेट में आरजेडी कोटे से जगह दी गई है।

राजद कोटे से तेज प्रताप यादव, सुरेंद्र यादव, आलोक मेहता, चंद्रशेखर, अनिता देवी, सुरेंद्र यादव, चंद्रशेखर, कुमार सर्वजीत, रामानंद यादव, ललित यादव, सुधाकर सिंह, कार्तिक मास्टर, अख्तरुल इस्लाम शाहीन, शहनवाज, इसराइल मंसूरी, समीर महासेठ ने मंत्री पद की शपथ ली।

नीतीश कुमार ने पिछली सरकार में मंत्री रहे अपने पुराने तमाम लोगों को फिर से मौका दिया है। जदयू कोटे से विजय चौधरी, विजेंद्र यादव, अशोक चौधरी, श्रवण कुमार, संजय झा, लेसी सिंह, जमां खान, जयंत राज, सुनील कुमार, मदन सहनी, शीला मंडल ने मंत्री पद की शपथ ली।

वही कांग्रेस के दो, जीतन राम मांझी की पार्टी हम से एक और एक निर्दलीय विधायक को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। कांग्रेस से आफाक आलम और मुरारी गौतम, निर्दलीय सुमित कुमार सिंह और हिंदुस्‍तानी अवाम मोर्चा के संतोष सुमन ने मंत्री पद की शपथ ली।

कांग्रेस कोटे से पहले चार विधायकों के मंत्री बनने की चर्चा थे लेकिन सहमति नहीं बनने के चलते दो का नाम ही फाइनल हो पाया। इस कारण सोमवार को कांग्रेस दफ्तर में कार्यकर्ताओं ने प्रदेश प्रभारी भक्त चरण दास के सामने हंगामा भी कर दिया।कांग्रेस के कई विधायक नाराज हो गये हैं। मंत्रिमण्डल में शामिल होने को लेकर नराजगी जता रहे हैं। विधायक दल के नेता अजित शर्मा गुट के साथ साथ कई विधायक नाराज बताये जा रहे हैं।

शपथ ग्रहण के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा जिस बात की हुई, वह थी विधायकों का समूह में शपथ लेना। इस दौरान सबकी नजर बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप के शपथ ग्रहण पर भी थी। साल 2015 में जदयू और राजद के महागठबंधन ने बिहार विधानसभा चुनाव में बंपर जीत दर्ज की थी। जब नई सरकार के मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण समारोह हुआ तब तेज प्रताप यादव ने भी मंत्रीपद की शपथ ली थी। हालांकि, शपथ ग्रहण के दौरान उनकी किरकिरी तब हुई जब उन्होंने अपेक्षित शब्द को उपेक्षित पढ़ दिया था। बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने मंच पर तुरंत ही तेज प्रताप यादव को टोक दिया। उन्होंने तेज प्रताप को अपेक्षित शब्द को ठीक से पढ़ने को कहा। तेजप्रताप जब इसे ठीक से पढ़ने लगे तो राज्यपाल ने उनसे शपथ पत्र को फिर से पूरा पढ़ने को कहा। इसके बाद तेजप्रताप यादव को फिर से शपथ लेनी पड़ी थी। उन्होेंने शपथ ठीक से पढ़ तो दी लेकिन ये मामला लोगों में चर्चा का विषय बन चुका था। कोई इस सामान्य गलती बता रहा था। तो वहीं, कई उनकी शिक्षा पर भी सवाल खड़े कर रहे थे।

विभागों का बंटवारा हो गया हैं अब सिर्फ घोषणा की औपचारिकता बस हैं। विभागों का बंटवारा इस प्रकार हैं :-

नीतीश कुमार ने गृह विभाग अपने पास ही रखा है। उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के पास स्वास्थ्य और पथ निर्माण, नगर विकास विभाग और ग्रामीण कार्य विभाग रहेंगे। तेज प्रताप यादव को इस बार वन एवं पर्यावरण विभाग की जिम्मेदारी होगी। वित्त मंत्री विजय चौधरी को बनाया गया है। अशोक चौधरी को भवन निर्माण जबकि श्रवण कुमार को ग्रामीण विकास विभाग मिला है, शिक्षा मंत्री का प्रभार राजद के कोटे में गया है जिसके तहत चंद्रशेखर को इस मंत्रालय की कमान सौंपी गई है। विजय कुमार चौधरी को वित्त, वाणिज्य कर और संसदीय कार्य मंत्री बनाया गया है, वहीं विजेंद्र यादव को ऊर्जा के साथ-साथ योजना एवं विकास विभाग की जिम्मेवारी दी गई है. राजद कोटे से मंत्री बने आलोक मेहता को राजस्व एवं भूमि सुधार, कांग्रेस के आफाक आलम को पशु और मत्स्य संसाधन, सुरेंद्र यादव को सहकारिता, रामानंद यादव को खान एवं भू-तत्व जबकि लेसी सिंह को खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण मंत्रालय मिला है। मदन साहनी को समाज कल्याण मंत्री बनाया गया है जबकि कुमार सर्वजीत को पर्यटन, ललित कुमार यादव को लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्रालय मिला है. जीतन राम मांझी के पुत्र संतोष कुमार सुमन को अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण मंत्रालय मिला है. वहीं संजय कुमार झा पहले की तरह ही जल संसाधन और सूचना एवं जनसंपर्क मंत्रालय संभालेंगे. जेडीयू की विधायक शीला कुमारी को परिवहन, समीर कुमार महासेठ को उद्योग, सुमित कुमार सिंह को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सुनील कुमार को मद्य निषेध उत्पाद और निबंधन जबकि अनीता देवी को पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग मंत्रालय मिला है। जितेंद्र राय को कला संस्कृति, जयंत राज को लघु जल संसाधन विभाग, सुधाकर सिंह को कृषि, जमां खान को अल्पसंख्यक कल्याण, मुरारी गौतम को पंचायती राज, कार्तिक कुमार को विधि, शमीम अहमद को गन्ना उद्योग, शाहनवाज को आपदा प्रबंधन मंत्रालय मिला है वहीं सुरेंद्र राम को श्रम संसाधन और मोहम्मद इसरायल को सूचना प्रावैद्यिकी विभाग मिला है।

  • आलोक कुमार मेहता –  राजस्व एवं भूमि सुधार
  • आफाक आलम – पशु एवं मत्स्य संसाधन
  • अशोक चौधरी – भवन निर्माण
  • श्रवण कुमार – ग्रामीण विकास
  • सुरेंद्र प्रसाद यादव – सहकारिता
  • रामानंद यादव – खान एवं भूतत्व
  • लेशी सिंह – खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण
  • मदन सहनी – समाज कल्याण
  • सर्वजीत कुमार – पर्यटन
  • ललित यादव – लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण
  • संतोष कुमार सुमन – एससी/एसटी कल्याण
  • संजय कुमार झा – जल संसाधन और सूचना एवं जनसंपर्क
  • शीला कुमारी – परिवहन
  • समीर महासेठ – उद्योग
  • चंद्रशेखर – शिक्षा
  • सुमित सिंह – विज्ञान एवं प्रावैधिकी
  • सुनील कुमार – मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन
  • अनिता देवी – पिछड़ा वर्ड एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण

तेजप्रताप यादव- समस्तीपुर जिला के हसनपुर से वर्तमान विधायक हैं। दो बार विधायक रह चुके हैं। लालू यादव के बड़े बेटे हैं।

रामानंद यादव- पटना जिले के फतुहा से राजद के विधायक हैं। लालू यादव के करीबी होने के साथ ही तेजस्वी के भी करीबी हैं।

सुरेंद्र यादव- गया जिला के बेलागंज से RJD से छठी बार विधायक। लालू यादव के बेहद करीबी हैं।

अनीता देवी- रोहतास के नोखा से विधायक हैं। तीसरी बार लगातार विधायक हैं। पूर्व की महागठबंधन की सरकार में भी मंत्री थीं। राबड़ी देवी की करीबी मानी जाती हैं।

आलोक कुमार मेहता- समस्तीपुर के उजियारपुर से तीसरा बार विधायक हैं। पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद भी हैं। लालू- तेजस्वी के करीबी माने जाते हैं।

कुमार सर्वजीत- गया जिला के बोधगया से तीसरा बार विधायक हैं. तेजस्वी यादव के करीबी माने जाते हैं।

समीर कुमार महासेठ- मधुबनी से ये तीसरी बार विधायक हैं. लालू यादव और तेजस्वी के भी करीबी हैं।

शाहनवाज- अररिया के जोकीहाट से पहली बार विधायक AIMIM से चुने गए। पाला बदलकर RJD में शामिल हुए। तेजस्वी यादव के करीबी हैं।

चंद्रशेखर- मधेपुरा से चौथी बार विधायक बने हैं. लालू यादव के करीबी माने जाते हैं।

कार्तिक सिंह- बाढ़ से पहली बार RJD से MLC बने हैं। अनंत सिंह और तेजस्वी यादव के करीबी हैं।

इसराइल मंसूरी –मुजफ्फरपुर के कांटी से विधायक हैं। पहली बार आरजेडी से विधायक बने हैं।

शमीम अहमद- अररिया के नरकटिया विधानसभा से विधायक हैं। तेजस्वी यादव के करीबी माने जाते हैं।

ललित यादव- दरभंगा ग्रामीण से विधायक हैं। 1995 से लगातार लगातार 6 बार जीते हैं। लालू यादव के करीबी माने जाते हैं।

सुधाकर सिंह- कैमूर जिले के रामगढ़ से राजद के विधायक हैं। राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र हैं।

सुरेंद्र राम– सारण जिले के गरखा विधानसभा से राजद के विधायक हैं।

जितेंद्र राय– सारण जिले के मढौरा विधान सभा क्षेत्र से राजद के विधायक हैं। 2010 से लगातार विधायक हैं।

विजय कुमार चौधरी- समस्तीपुर के सरायरंजन से वर्तमान विधायक। पांच बार एमएलए रह चुके हैं और सीएम नीतीश कुमार के खासमखास माने जाते हैं।

श्रवण कुमार- नालन्दा विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान विधायक हैं। 7 बार से एमएलए बन चुके हैं और 5 बार से लगातार मंत्री भी बनते आ रहे हैं। इस बार छठी बार मंत्री बने हैं। कुर्मी समाज से आते हैं और नीतीश कुमार के खासमखास हैं।

विजेंद्र यादव- 1990 में पहली बार जनता दल के टिकट पर सुपौल सदर सीट से विधान सभा से विधायक बने। लगातार सात बार (2005 में दो बार- फरवरी और नवंबर) विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते हैं।

अशोक चौधरी – बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं। वर्ष 2000 में पहली बार शेखपुरा जिले के बरबीघा विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने और इसके साथ ही उन्हें तत्कालीन राबड़ी मंत्रिमंडल में कारा राज्य मंत्री बनाया गया था। 2013 में बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष बने. जदयू का दामन थाम लिया था।

लेसी सिंह- पूर्णिया के धमदाहा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। 5 बार एमएलए रह चुकी हैं। वर्ष 2000, 2005, 2010, 2015, 2020 में लगातारी जीती हैं। लेसी सिंह नीतीश कुमार की करीबी मानी जाती हैं।

संजय कुमार झा- विधान परिषद सदस्य हैं। दो बार ये इस सदन के सदस्य रह चुके हैं।  ब्राह्मण समाज से आते हैं और सीएम नीतीश कुमार के करीबी हैं।

जयंत राज- 2020 में पहली बार बांका के अमरपुर से विधायक बने और मंत्री भी बन गए। दूसरी बार मंत्री बने। नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं।

सुनील कुमार- गोपालगंज के भोरे विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक हैं। दलित समाज से आते हैं और सीएम नीतीश कुमार के करीबी हैं।

मदन सहनी- दरभंगा के बहादुरपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। तीन बार के एमएलए को सहनी समाज से होने का फायदा मिलता रहा है। मंत्री भी रह चुके हैं।

जमा खान- कैमूर जिले के चैनपुर से 2020 में पहली बार बसपा के टिकट पर विधायक बने। बाद में वे जदयू में शामिल हो गए। नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं।

शीला मंडल-मधुबनी जिले के फुलपरास से 2020 में पहली बार विधायक बनीं। अति पिछड़ा समाज (धानुक जाति) से आती हैं और नीतीश कुमार की करीबी हैं।

मो. अफाक आलम- पूर्णिया के कसबा विधानसभा क्षेत्र से विधायक। 4 बार लगातार विधायक। फरवरी 2005, 2010, 2015, 2020 में जीते। रंजीता रंजन के करीबी माने जाते हैं।

मुरारी प्रसाद गौतम- सासाराम के चेनारी क्षेत्र से विधायक हैं। तीन बार विधायक रह चुके हैं। मीरा कुमार के करीबी माने जाते हैं।

सुमित कुमार सिंह- जमुई जिले के चकाई से निर्दलीय विधायक। 2 बार एमएलए बन चुके हैं। 2010 और 2020 में दोनों बार चकाई से निर्वाचित। दिवंगत पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के पुत्र हैं।

राजद ने अपने मंत्रिमंडल में सवर्णों को भी साथ लिया है, साथ ही परंपरागत वोट बैंक यानी मुस्लिम और यादवों को भी भरपूर तवज्जो दिया है।

सात दलों वाले महागठबंधन की सरकार का नेतृत्व नीतीश कुमार कर रहे हैं। मगर इसमें लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का दबदबा कायम है। विधानसभा में राजद विधायकों की संख्या सबसे ज्यादा है, इसलिए पार्टी से सर्वाधिक 17 मंत्री बने। लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव मंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। अब उनके बड़े बेटे तेजप्रताप यादव भी मंत्रिमंडल में शामिल हो गये है। तेज प्रताप पूर्ववर्ती महागठबंधन सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। तब उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी संभाली थी। इस बार भी उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया जा सकता है। राजद के पास सबसे ज्यादा विभाग होंगे। साथ ही विधानसभा स्पीकर का पद भी पार्टी को ही मिलना है। अवध बिहारी चौधरी स्पीकर हो सकते हैं।

जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। बताया जा रहा है कि पार्टी में कुशवाहा जाति के नेताओं ने उपेंद्र के मंत्री बनाए जाने पर नाराजगी जताई। इसके बाद उनका नाम लिस्ट से काट दिया गया। इस बैठक में पार्टी प्रदेशाध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा और कई विधायक-सांसद शामिल हुए थे। सूत्रों के मुताबिक इससे नाराज होकर उपेंद्र कुशवाहा दिल्ली पहुंच गए हैं। वे मंत्रियों के शपथग्रहण समारोह में शामिल नहीं होंगे। हालांकि मीडिया में दिए बयान में उन्होंने कहा कि वे किसी भी बात को लेकर नाराज नहीं हैं। उन्हें पार्टी में जो जिम्मेदारी मिली हुई है, उससे खुश हैं।

दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा को लेकर पार्टी के भीतर भारी नाराजगी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनकी पार्टी रालोसपा का जेडीयू में विलय कराकर उन्हें संसदीय बोर्ड का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त कर दिया था। उपेंद्र के जेडीयू में बढ़ते कद से पार्टी में कुशवाहा जाति के नेता नाराज हैं। फिलहाल उपेंद्र को संगठन में ही काम करने की सलाह दी गई है।

अवध बिहारी चौधरी स्‍पीकर बनेंगे। महागठबंधन में राजद सबसे बड़ी पार्टी है। लालू प्रसाद के समय से ही चौधरी राजद के सिपहसलार बने हुए हैं। उन्‍हें राजद सुप्रीमो का विश्‍वस्‍त और करीबी माना जाता है। वे सिवान सदर से छह बार विधायक चुने जा चुके हैं। राबड़ी देवी की सरकार में शिक्षा मंत्री का पद संभाल चुके हैं। वे 2020 से पहले 1985, 1990, 1995, 2000 और फरवरी 2005 में विधायक चुने जा चुके हैं।

नीतीश कुमार 10 अगस्त को बिहार के 8वीं बार मुख्यमंत्री बने। उनके पास 164 विधायकों का सपोर्ट है। एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार महागठबंधन के नेता चुने गए थे, जिसके बाद 10 अगस्त को उन्होंने तेजस्वी यादव के साथ शपथ ली थी।

 

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