भाजपा के ‘नबन्ना अभियान’ ने लिया हिंसक रूप

कोलकाता,              पश्चिम बंगाल में भाजपा के ‘नबन्ना अभियान’ ने मंगलवार को हिंसक रूप ले लिया। मध्य कोलकाता के बड़ा बाजार इलाके में आज दोपहर एक थाने के पास पुलिस कार में आग लगा दी गई। मौके से मिले वीडियो में देखा जा सकता है कि लोग लाठी-डंडों के साथ इधर-उधर भाग रहे हैं और पथराव कर रहे हैं। ये वीडियो ऐसे समय में सामने आए हैं जब पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को मार्च के दौरान संतरागाछी जाने की कोशिश करते समय हिरासत में ले लिया गया।

पुलिस कार में आग लगाए जाने की घटना के बाद मौके पर दमकल की एक गाड़ी भेजी गई और आग पर काबू पा लिया गया है। बड़ा बाजार शहर के सबसे व्यस्त थोक बाजारों में से एक है और घटनास्थल से सामने आए वीडियो से पता चलता है कि लगभग सभी दुकानें दिन के दौरान बंद थीं। इससे पहले दिन में भाजपा कार्यकर्ता सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ एक विरोध मार्च के दौरान राज्य पुलिस के साथ भिड़ गए थे।

सत्तारूढ़ ममता सरकार के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस और पानी की बौछारों का सहारा लिया। राज्य के पश्चिम बर्दवान जिले के पानागढ़ रेलवे स्टेशन से मार्च की ओर जा रहे भाजपा के चार कार्यकर्ताओं को भी गिरफ्तार किया गया।

महिला पुलिस कर्मी को अधिकारी कहते हुए दिख रहे हैं- डोंट टच मॉय बॉडी, यू आर लेडी.. आई एम मेल।दरअसल, महिला पुलिस कर्मी साथी पुलिस टीम के साथ प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही थी। इस बीच वो भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी से टकरा गई। इस पर अधिकारी तपाक से बोले- “मेरे शरीर को मत छुओ। आप महिला हैं, तो मैं पुरुष हूं।” दरअसल, अधिकारी के इस वीडियो को टीएमसी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर किया है। साथ ही कैप्शन में लिखा है- भाजपा के 56 इंच वाले सीने के मॉडल का पर्दाफाश।

अधिकारी के अलावा, भाजपा के नेता एवं सांसद लॉकेट चटर्जी और पार्टी नेता राहुल सिन्हा को भी हिरासत में लिया गया और उन्हें एक जेल वैन से ले जाया गया। उन्हें सचिवालय के पास ‘सेकंड हुगली ब्रिज’ के नजदीक पुलिस प्रशिक्षण स्कूल के सामने रोका गया। राज्य में तृणमूल कांग्रेस सरकार के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘नबन्ना अभियान’ में हिस्सा लेने के लिए राज्य भर से भाजपा समर्थक मंगलवार सुबह कोलकाता और पड़ोसी हावड़ा पहुंचना शुरू हो गए थे।

गौरतलब है कि ममता बनर्जी सरकार के मुख्यालय ‘नबन्ना’ की ओर मार्च कर रहे भाजपा के कई नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। भाजपा राज्य की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर मार्च कर रही है।

पश्चिम बंगाल में बीते साल हुए विधानसभा चुनाव में भले ही भाजपा जीत हासिल नहीं कर सकी थी, लेकिन 77 सीटों के साथ वह मुख्य विपक्षी दल जरूर बनी थी। लेकिन उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन न रहने के चलते लोकसभा चुनाव में उसकी संभावनाओं को लेकर संदेह जताया गया था। 2019 में बंगाल में 18 सीटें जीतने वाली भाजपा ने शायद इसीलिए पहले से ही बंगाल में मिशन 2024 को धार देना शुरू कर दिया है। मंगलवार को कोलकाता में सचिवालय चलो अभियान के अलावा प्रदेश भर में हजारों भाजपाई सड़कों पर उतरे और जोरदार प्रदर्शन किया। माना जा रहा है कि भाजपा ने ममता सरकार को घेरते हुए 2024 के लिए अभी से माहौल बनाना शुरू कर दिया है। वहीं कभी तीन दशकों तक बंगाल पर राज करने वाले वामपंथी दल और कांग्रेस नदारद दिख रहे हैं।

एक तरफ ममता बनर्जी मिशन 2024 के लिए विपक्षी एकता को मजबूती देने में जुटी हैं। वहीं दूसरी तरफ भाजपा उनके ही गढ़ में सेंध लगाने पर फोकस कर रही है। हाल ही में बिहार भाजपा के अध्यक्ष रह चुके मंगल पांडे को बंगाल भेजना भी भाजपा की खास रणनीति का हिस्सा है। बंगाल के विधानसभा चुनाव में मनमाफिक नतीजे न आने के बावजूद भाजपा ने यहां हार नहीं मानी है। वह लगातार ममता सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेर रही है। खासतौर पर हाल ही में ममता सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी जिस तरह से घोटाले के आरोपों में घिरे हैं, उसके बाद से भाजपा और ज्यादा हमलावर है। ऐसे में यहां पर मुकाबला फिर से भाजपा बनाम टीएमसी होने वाला है इसमें कोई शक नहीं है। 2014 में बंगाल में 42 लोकसभा सीटों में से दो जीतने वाली भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में यह आंकड़ा 18 सीटों तक पहुंचा दिया था। इस बार वह इस आंकड़े को और बेहतर करने पर जोर देगी।

गौरतलब है कि बीते विधानसभा चुनाव में यहां पर भाजपा और टीएमसी की लड़ाई के बीच कांग्रेस और लेफ्ट खाली हाथ ही रह गई थीं। जहां टीएमसी ने 213 तो भाजपा ने 77 सीटें जीती थीं। वहीं इस चुनाव में कांग्रेस बंगाल में खाता तक नहीं खोल नहीं सकी थी, जबकि टीएमसी ने मात्र एक सीट जीती थी। ऐसे में आगामी चुनावों में अगर टीमएसी और कांग्रेस कंगाल रह जाएं तो इसमें कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए। हां, अगर संयुक्त विपक्ष की कोई सूरत बनती है और कांग्रेस, ममता और लेफ्ट के साथ आने को राजी हो जाती है तब की बात और है। हालांकि फिलहाल सड़क पर संघर्ष में तो केवल भाजपा और टीएमसी ही आमने-सामने दिखाई दे रही हैं।

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