गया: प्रेम के विजयी रथ को रोकना मोहन श्रीवास्तव के लिए बड़ी चुनौती

गया, बिहार की कायस्थ और चंद्रवंशी बहुल गया टाउन विधानसभा सीट भाजपा का गढ़ माना जाता हैं। भाजपा के लिए अभेद दुर्ग कही जाने वाली गया टाउन विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक प्रेम कुमार हैं। वह लगातार 7 बार से इस सीट से विधायक बनते आ रहें हैं। इस बार के चुनाव में भाजपा ने अपना भरोसा प्रेम कुमार पर बरकार रखा है। वहीं कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार डिप्टी मेयर अखौरी ओंकार नाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव को बनाया है। रालोसपा से रंघीर कुमार केसरी और जाप से निखिल कुमार अपनी दावेदारी पेश कर रहें हैं। इस सीट पर 28 अक्टूबर को मतदान डाले जाएंगे। गया टाउन में इस बार भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है। गया टाउन विधानसभा सीट पर 27 उम्मीदवार मैदान में हैं, जो अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं।

अगर इतिहास की बात करें तो इस सीट पर पिछले सात चुनावों से भाजपा धमाकेदार जीत दर्ज करती आ रही है। जब राजद और जदयू के गठबंधन के सामने बड़े-बड़े नेता चुनाव हार गए थे तब भी प्रेमकुमार लगातार सातवीं बार चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे। बिहार में इस विधानसभा सीट को भाजपा का अभेद दुर्ग माना जाता है। प्रेमकुमार पहली बार 1990 में यहाँ से चुनाव जीते थे उसके बाद उन्हें कभी हार का सामना नहीं करना पड़ा। कांग्रेस यह यह सीट आखिरी बार 1985 में जीती थी उसके बाद से ही उसे एक अदद की तलाश है।

गया टाउन में पिछले 30 साल से बीजेपी का राज है। यहां के लोग बीजेपी नेता डॉ प्रेम कुमार को अपना प्रतिनिधि चुनते आ रहे हैं। प्रेम कुमार को मात देने के लिए विपक्षी पार्टियों ने अलग-अलग चेहरे उतारे। लेकिन किसी के हाथ सफलता नहीं लगी। जनता का भरोसा प्रेम कुमार पर है। इस बार जनता का मूड बदलता है या फिर बीजेपी पर ही मुहर लगाती है ये देखने वाली बात होगी।

प्रेम कुमार 15 वर्षों से लगातार बिहार सरकार में अलग-अलग विभागों में मंत्री हैं। दूसरी ओर मोहन श्रीवास्तव लगातार 13 वर्षों से नगर निगम में पार्षद व डिप्टी मेयर हैं। दोनों ही नेताओं के बीच पहले भी चुनावी जंग हो चुकी है। 2005 के फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में दोनों पहली बार एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी के तौर पर सामने आये थे। उस चुनाव में डाॅ प्रेम कुमार ने 42,967 मत प्राप्त कर जीत हासिल की थी। वहीं, निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मोहन श्रीवास्तव ने 5,326 वोट प्राप्त कर पांचवें स्थान पर रहे थे। दूसरी बार 2010 के विधानसभा चुनाव में दोनों नेता फिर से आमने-सामने हुए। मोहन श्रीवास्तव कांग्रेस उम्मीदवार थे ।

गया शहर में कायस्थ और चंद्रवंशी समाज अहम भूमिका में हैं। वहीं अल्पसंख्यक समुदाय, वैश्य, भूमिहार, राजपूत, यादव, कोयरी-कुर्मी आदि भी अच्छी संख्या में हैं।

इस सीट पर अब तक भाजपा को 7 बार, कांगेस को 3 बार और जनता पार्टी को एक बार जीत हासिल हुई है। भाजपा के प्रेम कुमार 1990, 1995, 2000, फरवरी और अक्टूबर 2005, 2010 और 2015 में यहां से जीतकर विधायक बन चुके हैं।

2015 के चुनाव में भाजपा के प्रेम कुमार को 66891 वोट मिला था, जबकि दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के प्रेमरंजन डिंपल को 44102 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी राज कुमार प्रसाद (7170 वोट) और चौथे नंबर पर सीपीआई प्रत्याशी मसूद मंजर (2363 वोट) रहे।

इस सीट पर पहला चुनाव 1952 में हुआ था। कांग्रेस के केशव प्रसाद पहले विधायक बन थे। 1957 में लतीफुर्रहमान, 1962 में श्यामचरण भरथुआर जीते। 1967 और 1969 में जनसंघ पार्टी से गोपाल मिश्रा ने इस सीट पर कब्जा जमाया था। 1972 में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. युगल किशोर प्रसाद जीते। 1977 के चुनाव में जनता पार्टी से सुशील सहाय जीते। 1980 से लेकर 90 तक लगातार 10 साल तक कांग्रेस के जय कुमार पालित यहां के विधायक रहे। 1990 में प्रेम कुमार को बीजेपी ने टिकट दिया और वह जीत गए। 1990 से लेकर अभी तक हुए कुल 7 विधानसभा चुनाव में वे लगातार जीत हासिल करते हुए लगातार 30 साल तक इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का इतिहास रचा है।

इस सीट पर 2.65 हजार मतदाता इस बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1.37 हजार है और महिला मतदाताओं की संख्या 1.25 हजार है।

बिहार में इस बार कुल तीन चरणों में चुनाव होना है। पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर, दूसरे चरण का मतदान 3 नवंबर और तीसरे एवं आखिरी चरण का चुनाव 7 नवंबर को होना है। पहले चरण का चुनाव नजदीक है और प्रचार-प्रसार भी तेजी पर है। पहले चरण में कुल 71 विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है। इन सभी सीटों के लिए तमाम पार्टियों के बड़े से लेकर छोटे नेता तक जमकर रैलियां और जनसभाएं कर रहे हैं। सभी चरणों के चुनाव के बाद 10 नवंबर को चुनाव के नतीजे भी घोषित कर दिए जाएंगे।

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