मधेपुरा, बिहार का बिहारीगंज विधानसभा सीट मधेपुरा लोकसभा के तहत आता है। मधेपुरा जिले की बिहारीगंज विधानसभा सीट पर जदयू ने जहां अपने विधायक निरंजन मेहता पर भरोसा जताते हुए टिकट दिया है। वहीं महागठबंधन की ओर से यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई है। कांग्रेस ने यहां से अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए मैदान में उतरीं शरद यादव की पुत्री सुभाषिनी बुंदेला को उम्मीदवार बनाया है। इन दोनों के बीच राजद से इस्तीफा देकर ई.प्रभाष ने जाप से मैदान में आ गए हैं। वे यहां वर्ष 2010 के चुनाव में राजद प्रत्याशी थे। चुनाव में वे दूसरे स्थान पर रहे थे। लोजपा ने यहां से पूर्व मंत्री रेणु कुमारी के पति विजय कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है। यहां की लड़ाई काफी दिलचस्प होगी। जिसकी वजह से इस सीट पर लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है। सुभाषिनी का मुख्य मुकाबला जेडीयू के निरंजन मेहता से है। बिहारीगंज सीट से कुल 22 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं। जेडीयू के निरंजन मेहता की स्थिति काफी मजबूत मानी जा रही हैं और उनके जीत को लेकर जदयू आश्वस्त हैं।
बिहारीगंज के निवर्तमान विधायक निरंजन मेहता कुशवाहा जाति से आते हैं पर लोजपा उम्मीदवार विजय कुमार सिंह के भी इस वर्ग का होने के कारण इस समुदाय के वोटों के बंटवारे की संभावना न के बराबर है। सुभाषिनी के लिए भी जीत की राह बहुत आसान नहीं है क्योंकि जनअधिकार पार्टी के उम्मीदवार प्रभाष कुमार यादव जाति से आते हैं, जो पूर्व में लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद में राज्य महासचिव के पद पर आसीन रह चुके हैं और बिहार के विपक्षी महागठबंधन में सीट बंटवारे के तहत यह सीट कांग्रेस के खाते में चले जाने पर सुभाष राजद छोड़ पप्पू यादव के नेतृत्व वाली पार्टी में शामिल हो गए थे।
सुभाषिनी को विपक्षी महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे राजद का पूर्ण समर्थन मिलने को लेकर आशंका जतायी जा रही है क्योंकि राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि राजद के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता एक “बाहरी व्यक्ति” को “पैराशूट उम्मीदवार” के रूप में मैदान में उतारे जाने पर खुश नहीं हैं।
बिहारीगंज विधानसभा सीट साल 2010 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई। 2010 में बिहारीगंज सीट पर हुए पहले विधानसभा चुनाव में जेडीयू उम्मीदवार रेणु कुमारी ने जीत हासिल की थी। वहीं 2015 के चुनाव में बिहारीगंज सीट से जेडीयू उम्मीदवार निरंजन कुमार मेहता ने जीत का परचम लहराया था। इस लिहाज से देखा जाए तो बिहारीगंज जेडीयू के लिए एक सुरक्षित सीट रही है। यहां से लगातार दो बार जनता दल यूनाइटेड के कैंडिडेट ने जीत हासिल की है।
सुभाषिनी को जिताने के लिए कांग्रेस ने पूरा जोर लगा दिया है। बुधवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मधेपुरा में उनके समर्थन में रैली की। 2019 के लोकसभा चुनाव में शरद यादव जीत नहीं सके, अब बेटी को राजनीति में उतारकर शरद यादव अपनी राजनीतिक जमीन को बचाए रखना चाहते हैं। शरद यादव 1991 से लेकर 2009 तक चार बार मधेपुरा सीट से सांसद चुने गए। इस इलाके में उनका दबदबा इस कदर था कि उन्होंने 2009 में लालू यादव को पटखनी दे दी थी। अब बेटी के सहारे शरद यादव इस इलाके में अपनी पकड़ बानाए रखना चाहते हैं. इसलिए सुभाषिनी को यादव बहुल बिहारीगंज सीट से उतारा है।
ई.प्रभाष यहां वर्ष 2010 के चुनाव में राजद प्रत्याशी थे। चुनाव में वे दूसरे स्थान पर रहे थे। बिहारीगंज विधानसभा सीट इस बार महागठबंधन में कांग्रेस के खाते में जाने से यहां राजद के पुराने कद्दावर नेता इंजीनियर प्रभात को टिकट नहीं मिला। इससे खफा इंजीनियर प्रभात जन अधिकार पार्टी में चले गए। यहां की जनता में भी स्थानीय इंजीनियर प्रभात को टिकट न देने को लेकर रोष है।
पिछले कुछ महीनों से अस्वस्थ शरद यादव ने लोगों से अपनी बेटी सुभाषिनी के लिए जनता से आशीर्वाद की अपील की है। शरद यादव ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि महागठबंधन की उम्मीदवार सुभाषिनी अब सिर्फ मेरी बेटी नहीं है, बल्कि आप सभी की बेटी है जो बिहारीगंज के विकास के लिए सदैव समर्पित रहेगी। सुभाषिनी को अपने आशीर्वाद के तौर पर कांग्रेस के चुनाव चिन्ह के सामने वाला बटन दबा कर वोट करें और विजयी बनाए और आपकी सेवा करने का मौका दें। उन्होंने कहा कि मेरे जीवन में सब कुछ मैंने आप लोगों के लिए समर्पित किया है और अब उम्र के इस पड़ाव पर आपकी सेवा के लिए बेटी सुभाषिनी को सौंप रहा हूँ।
साल 2015 के विधानसभा चुनाव में बिहारीगंज सीट से जेडीयूकी टिकट पर निरंजन कुमार मेहता ने चुनाव में जीत हासिल की थी। निरंजन कुमार मेहता ने चुनाव में 78 हजार 361 वोट हासिल किया था। वहीं बीजेपी उम्मीदवार रविन्द्र चरण यादव को 49 हजार 108 वोट ही मिल पाया था। इस तरह से निरंजन कुमार मेहता ने रविन्द्र चरण यादव को 29 हजार 253 वोट के बड़े अंतर से हरा दिया था। वहीं जाप पार्टी के कैंडिडेट श्वेत कमल 12 हजार 218 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे।
साल 2010 के विधानसभा चुनाव में बिहारीगंज सीट से जेडीयू की टिकट पर रेणु कुमारी ने चुनाव में जीत हासिल की थी। रेणु कुमारी ने चुनाव में 79 हजार 62 वोट हासिल किया था। वहीं उम्मीदवार प्रभाष कुमार ने 29 हजार 65 वोट हासिल किया था। इस तरह से रेणु कुमारी ने प्रभाष कुमार को 49 हजार 997 वोट के बड़े भारी अंतर से हरा दिया था। वहीं कांग्रेसी उम्मीदवार रंजीत रंजन ने 27 हजार 554 वोट लेकर तीसरा स्थान हासिल किया था।
बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की बात करें तो यहां पुरुष मतदाताओं की संख्या अधिक है। इस विधानसभा क्षेत्र के कुल मतदाताओं में पुरुष मतदाताओं की भागीदारी 51.85 फीसदी है। महिला मतदाताओं की भागीदारी 48.15 फीसदी है। बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र में कुल 2 लाख 84 हजार 140 मतदाता हैं।
पिछले चुनाव यानी साल 2015 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र में 50 फीसदी से अधिक मतदान हुआ था। पिछले चुनाव में बिहारीगंज के 1 लाख 73 हजार 208 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था।