राहुल गांधी मिलने का समय दे नहीं तो मैं दे दूंगा तत्काल इस्तीफा – कांग्रेस विधायक

जयपुर,                   राजस्थान में पायलट गुट के कांग्रेस विधायक रमेश मीणा इन दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। पहले गहलोत सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाने के बाद अब विधायक रमेश ने एक और सिगूफा छेड़ दिया है। विधायक रमेश मीणा ने कहा है कि वे राहुल गांधी से मिलना चाहते हैं और अपनी बात रखना चाहते हैं। उनका कहना कि यदि राहुल गांधी उनसे नहीं मिलते हैं, तो मैं तत्काल इस्तीफा दे दूंगा।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। कांग्रेस पार्टी के दो दलित विधायकों ने गहलोत सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप भी लगाया है। इन विधायकों का कहना है कि दलित विधायकों की अनदेखी हो रही है। इस बीच विधायक रमेश मीणा ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने का वक्त मांगा है। उन्होंने चेतावनी दी कि सुनवाई नहीं हुई तो वे इस्तीफा दे देंगे। ये दोनों विधायक सचिन पायलट गुट के हैं।

आपको बता दें कि कांग्रेस विधायक रमेश मीणा पूर्वी राजस्थान में कांग्रेस का बड़ा दलित चेहरा हैं। मीणा ने एक दिन पहले ही सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया था कि सीएम गहलोत के इशारे पर सदन में दलितों और अल्पसंख्यक वर्ग की आवाज दबी जा रही है। ऐसे में वह अपने समस्या को लेकर राहुल गांधी से मिलना चाहते हैं, जिसके लिए उन्होंने वक्त भी मांगा है।

वहीं, दूसरी तरफ गहलोत सरकार की ओर से परिवहन मंत्री प्रताप खाचरियावास ने इस विषय पर सफाई देते हुए कहा है कि एसटी-एससी और अल्पसंख्यक कांग्रेस की रीढ़ की हड्डी हैं। कांग्रेस पार्टी बड़ा परिवार है, इसलिए ऐसी बातें होती रहती हैं।

कांग्रेस के तीन विधानसभा सदस्यों ने शुक्रवार को सदन में अनुसूचित जाति/जनजाति तथा अल्पसंख्यक समुदाय के विधायकों के साथ भेदभाव करने और उनकी आवाज दबाने के प्रयास का आरोप लगाया। इसके साथ ही उनमें से एक ने इस्तीफे की भी धमकी दे दी। इन विधायकों ने आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति समुदाय के विधायकों की न तो सरकार में सुनवाई हो रही है न ही संगठन में और वे इस बात को पार्टी आलाकमान तक ले जाएंगे।

जो विधायक इस मामले को लेकर खुलकर सामने आए हैं, उनमें पूर्व मंत्री रमेश मीणा, विधायक मुरारी लाल मीणा और वेद प्रकाश सोलंकी हैं। इन तीनों विधायकों ने पिछले साल मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ बागी तेवर अपनाने वाले तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का समर्थन किया था। उल्लेखनीय है विधानसभा में 50 विधायकों को बिना माइक वाली सीट दिए जाने का मुद्दा शुक्रवार को और गर्माया। इससे पहले इस मुद्दे पर बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी तथा कांग्रेस विधायक रमेश मीणा के बीच बहस हुई थी।

मुरारी लाल मीणा ने कहा कि शुरुआत से ही भेदभाव किया जा रहा है। इसके लिए मुख्यमंत्री से लेकर पार्टी स्तर तक आवाज उठाई गई है। मीणा ने विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से कहा कि मेरे क्षेत्र में विकास कार्य हुए हैं जिन्हें मैं अस्वीकार नहीं कर सकता, लेकिन अनेक निर्वाचन क्षेत्रों में सरकार में कई लोगों के काम नहीं हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता अजा/ जजा और अल्पसंख्यकों को कांग्रेस की रीढ़ मानते हैं, लेकिन विधानसभा, सरकार और पार्टी स्तर पर ही इस रीढ़ को कमजोर किया जा रहा है।

मीणा ने आरोप लगाया कि कई मंत्री, पदाधिकारी और नेता अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के विधायकों की उपेक्षा करते हैं। चाकसू निर्वाचन क्षेत्र के कांग्रेस विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने आरोप लगाया कि विधानसभा में कुछ चुनिंदा लोगों को ही बोलने की अनुमति है। सोलंकी ने कहा कि एक तरफ आप मानते हैं कि अजा-जजा और अल्पसंख्यक कांग्रेस की रीढ़ हैं और दूसरी तरफ आप उन्हीं के विधायकों को कमजोर करते हैं। दोनों चीजें साथ-साथ तो नहीं हो सकती।

उन्होंने कहा कि कोरोना प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए जिन 50 विधायकों को विधानसभा में बिना माइक की सीटें दी गई हैं उनमें से ज्यादातर दलित, आदिवासी एवं अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। उन्होंने पार्टी के मुख्य सचेतक महेश जोशी से इन 50 विधायकों की सूची सार्वजनिक करने और विधानसभा में सीट आवंटित करने के मानदंडों की जानकारी देने की मांग की।

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