द्रोपदी मुर्मू ने जीता राष्ट्रपति चुनाव, 25 जुलाई को लेंगी देश के 15वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ

नई दिल्ली,                  15वें राष्ट्रपति के लिए हुए चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की बड़े अंतर से जीत हुई है। वहीं विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को उम्मीद से भी कम वोट मिले हैं। भाजपा का दावा है कि लगभग 17 सांसदों ने भी क्रॉस वोटिंग की थी। परिणामों में यह निकलकर सामने भी आया है। हालांकि यशवंत ने अपनी हार स्वीकार कर ली और द्रौपदी मुर्मू को बधाई देने में देर नहीं की। वह 25 जुलाई को देश के 15वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेंगी। राष्ट्रपति चुनाव में जमकर क्रॉस वोटिंग हुई। जहां कुछ सदस्यों ने खुलकर क्रॉस वोट किया तो वहीं बहुत सारे विधायक और सांसद ऐसे थे जिन्होंने अपना पत्ता नहीं खोला लेकिन पार्टी लाइन से हटकर वोट डाला।

सूत्रों के मुताबिक 126 विधायकों और 17 सांसदों ने क्रॉस वोट किया है। भाजपा ने भी दावा किया था कि 17 सांसदों ने क्रॉस वोट किया। सांसदों की बात करें तो 748 में से 540 वोट एनडीए उम्मीदवार मुर्मू को मिले तो वहीं यशवंत सिन्हा को 208 सांसदों को वोट ही हासिल हो पाए। बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव में राज्यसभा और लोकसभा दोनों के सांसद मतदान करते हैं। अगर इन वोटों की वैल्यू देखें तो द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में 3,78,000 वोट हुए और यशवंत सिन्हा के पक्ष में 1,45,600 वोट हुए। ये वोट केवल सांसदों के हैं।

बताया जा रहा है कि द्रौपदी मुर्मू को कुल 64 फीसदी वोट मिले  वहीं यशवंत सिन्हा को 36 फीसदी वोट हासिल हुए। कुल वोटों की बात करें तो द्रौपदी मुर्मू को 6,76,803 वोट तो वहीं सिन्हा को 3,80,177 वोट मिले हैं।

असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा का दावा है कि उनके राज्य में 25 विधायकों ने क्रॉस वोट किया। उनका कहना है कि 126 सदस्यों वाली विधानसभा में द्रौपदी मुर्मू को 104 वोट हासिल हुए हैं जबकि एनडीए की  तादात 79 है। सरमा ने कहा कि चुनाव सिक्रेट बैलेट से होते हैं इसलिए यह तो नहीं ब ताया जा सकता कि किसने क्रॉस वोट किया है। सूत्रों की मानें तो सबसे ज्यादा असम में, दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश में, तीसरे पर महाराष्ट्र, चौथे  पर उत्तर प्रदेश और पांचवें नंबर पर झारखंड में क्रॉस वोटिंग हुई है।

यशवंत सिन्हा ने कहा, मैं राष्ट्रपति चुनाव 2022 में श्रीमती द्रौपदी मुर्मी जी की जीत पर उन्हें बधाई देता हूं। मैं उम्मीद करता हूं कि वास्तव में भारत के लोग उम्मीद करते हैं कि भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में वह बिना किसी ‘डर’ या पक्षपात के संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करें। मैं देशवासियों के साथ उन्हें शुभकामनाएं देता हूं।

यशवंत ने आगे कहा, परिणाम चाहे जो भी रहे हों लेकिन मेरा मानना है कि इससे भारतीय लोकतंत्र को दो फायदे हुए हैं। पहला अधिकांश विपक्षी दल एक मंच पर आए। ये वास्तव में समय की मांग है। मैं विपक्ष के नेताओं से मांग करता हूं कि राष्ट्रपति चुनाव के बाद भी एकतना बनाए रखें और इसे मजबूत करें। उपराष्ट्रपति चुनाव में यह स्पष्ट तौर पर दिखना चाहिए। उन्होंने कहा कि दूसरा फायदा यह हुआ है कि देश और आम लोगों के सामने विपक्षी दलों के विचारों, चिंताओं को रखा गया।

सिन्हा ने भाजपा सरकार पर भी हमला बोला और कहा, एजेंसियों का दुरुपयोग दलबदल करवाने और विपक्षी दलों द्वारा चलाई जदा रही सरकारों को गिराने के लिए भी किया जा रहा है। भारत के लोगों ने राजनीति में इतना भ्रष्टाचार कभी नहीं देखा। ध्रुवीकरण जहरीली राजनीति भारत में लोकतंत्र  और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए गंभीर खतरा बन गई है।

देश के पहले आदिवासी नेता के तौर पर राष्ट्रपति बनने के बाद द्रौपदी मुर्मू को बधाई देने वालों का तांता शुरू हो गया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने घर पहुंचकर उन्हें बधाई दी। पीएम मोदी ने भी मुर्मू के घर पहुंचकर उन्हें बधाई दी। पीएम ने कहा कि देश ने इतिहास रचा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार कई ट्वीट कर उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा, जब देश के 1.3 अरब भारतीय आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो आदिवासी समुदाय में जन्म लेने वाली भारत की बेटी देश की राष्ट्रपति बन गई है।

प्रधानमंत्री ने आगे लिखा, ‘श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी का जीवन और उनका संघर्ष, उनकी सेवा भावना सभी भारतीयों के लिए प्रेरणा है। वह भारत के लोगों के लिए उम्मीद की नई किरण हैं। खासकर गरीबों और वंचितों के लिए वह प्रेरणा हैं। वह एक अच्छी विधायक और मंत्री रही हैं। वहीं झारखंड की राज्यपाल के तौर पर उनका कार्यकाल बहुत अच्छा रहा। मुझे पूरा भरोसा है कि वह बहुत शानदार राष्ट्रपति भी होंगी जो कि देश की विकास यात्रा को आगे बढ़ाएंगी।’

प्रधानमंत्री नोदी ने कहा, मैं उन सभी  सांसदों और विधायकों को भी धन्यवाद देता हूं जिन्होंने श्रीमती मुर्मू का समर्थन किया। उनकी बड़ी जीत लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत है। वहीं यशवंत सिन्हा ने ट्वीट कर कहा था, मैं देश की नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को बधाई देता हूं। उम्मीद है कि वह बिना किसी भय और पक्षपात के संविधान की संरक्षक के रूप में कार्य करेंगी।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मैं नवनिर्वाचित राष्ट्रपति माननीय द्रौपदी मुर्मू को बधाई देती हूं। राष्ट्र की मुखिया के तौर पर देश आपकी ओर देख रहा है कि आप संविधान के आदर्शों की रक्षा करेंगी और लोकतंत्र की संरक्षक होंगी। खासकर तब कि जब देश कई तरह के कलह में फंसा हुआ है।

एनसीपी नेता शरद पवार ने भी बधाई देते हुए कहा कि देश के सबसे प्रतिष्ठित पद पर आसीन होने के लिए शुभकामनाएं देता हूं। राष्ट्रपति के कार्यकाल में सफलता के लिए भी शुभकामना। राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर द्रौपदी मुर्मू को बधाई दी।

पहले राउंड की गिनती में द्रौपदी मुर्मू को 748 में से 540 वोट मिले थे। इसके अलावा यशवंत सिन्हा को 208 मत हासिल हुए थे। कुल 748 मत पहले राउंड में वैध पाए गए थे, जिनका मूल्य 5 लाख 23 हजार 600 है। इनमें से 540 वोट द्रौपदी मुर्मू को हासिल हुए थे, जिनका मूल्य 3,78,000 है। वहीं यशवंत सिन्हा पहले ही राउंड में बड़े अंतर से पिछड़ गए थे। उन्हें कुल 208 वोट ही मिले थे, जिनका मूल्य 1,45,600 ही आंका गया।

द्रौपदी मुर्मू की जो बढ़त पहले राउंड में थी, वह दूसरे चरण की मतगणना में और ज्यादा बढ़ गई। दूसरे राउंड की मतगणना तक कुल 1886 वैध मतों की गिनती की गई, जिनमें से 1349 वोट द्रौपदी मुर्मू को हासिल हुए। इसके अलावा यशवंत सिन्हा को मिलने वाले वोटों की संख्या 537 रही। दूसरे चरण की मतगणना तक द्रौपदी मुर्मू के वोटों का मूल्य 4,83,299 था, जबकि यशवंत सिन्हा को मिले वोटों का मूल्य 1,89,876 ही रह गया। इस तरह पहले चरण से ही द्रौपदी मुर्म ने बड़ी बढ़त को कायम रखा।

भाजपा ने दावा किया है कि पहले दौर में सांसदों की वोटिंग के दौरान विपक्ष के नेताओं ने क्रास वोटिंग की। भाजपा ने तर्क दिया कि उन्हें पहले राउंड में 523 वोट की उम्मीद थी लेकिन मिले 540 वोट।

देश को मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और के आर नारायणन के रूप में दो दलित राष्ट्रपति मिल चुके हैं लेकिन द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी नेता हैं जो कि देश के सर्वोच्च पद तक पहुंची हैं। आज तक देश में कोई आदिवासी न तो प्रधानमंत्री रहा है और न ही गृह मंत्री। ओडिशा में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं।  खास बात यह भी है कि वह ऐसी पहली राज्यपाल थी जिन्होंने झारखंड में अपना कार्यकाल पूरा किया।

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को हुआ था। 25 जुलाई को उनकी उम्र 64 साल 1 महीना और 8 दिन होगी। द्रौपदी मुर्मू अब तक की सबसे युवा राष्ट्रपति होंगी। इससे पहले यह रिकॉर्ड नीलम संजीव रेड्डी के नाम था। जब वह राष्ट्रपति बने तो उनकी उम्र 64 साल दो महीने और 6 दिन थी। वह निर्विरोध राष्ट्रपति बने थे। वहीं सबसे ज्यादा उम्र में राष्ट्रपति बनने वाले में के आर नारायणन का नाम दर्ज है। वह 77 साल 5 महीने 21 दिन की उम्र में राष्ट्रपति बने थे।

द्रौपदी मुर्मू ऐसी पहली राष्ट्रपति होंगी जिन्होंने आजाद भारत में जन्म लिया है। यूं भी कह सकते हैं कि भारत गणतंत्र में जन्म लिया है। मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को हुआ था। बता दें कि 2014 तक जितने भी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बने, सबका ही जन्म आजादी से पहले हुआ था। प्रधानमंत्री मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को हुआ था। वह आजाद भारत में जन्म लेने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं।

देश में अब तक जो 14 राष्ट्रपति हुए हैं उनमें से 7 का ताल्लुक दक्षिण भारत से था। वहीं डॉ. राजेंद्र प्रसाद ऐसे राष्ट्रपति थे जो कि दो बार राष्ट्रपति बने और बिहार के रहने वाले थे। द्रौपदी मुर्मू ओडिशा की पहली ऐसी नेता हैं जो कि इस शीर्ष पद तक पहुंची हैं। वह देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। 2007 में प्रतिभा  देवी सिंह पाटिल पहली महिला राष्ट्रपति बनी थीं।

बता दें कि द्रौपदी मुर्मू के नाम का ऐलान भाजपा की ओर से विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की घोषणा के बाद किया गया था। इसके बाद भी विपक्षी दलों में से कई पार्टियों ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन किया। बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, अकाली दल, शिवसेना, तेलगु देशम पार्टी समेत कई ऐसे दलों ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन किया, जो एनडीए का हिस्सा नहीं हैं। देश की पहली महिला आदिवासी उम्मीदवार के नाम पर द्रौपदी मुर्मू को यह समर्थन मिला है। यहां तक कि खुद यशवंत सिन्हा का नाम सुझाने वालीं ममता बनर्जी ने भी चुनाव से कुछ वक्त पहले कहा था कि यदि बीजेपी ने हमें उनके नाम के बारे में पहले ही बताया होता तो हम जरूरी विचार करते।

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है। वह एक आदिवासी जातीय समूह संथाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं। ओडिशा के आदिवासी परिवार में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू झारखंड की नौवीं राज्यपाल बनी थीं। राज्यपाल बनने से पहले वह बीजेपी की सदस्य रही हैं। यही नहीं द्रौपदी मुर्मू साल 2000 में गठन के बाद से पांच साल का कार्यकाल (2015-2021) पूरा करने वाली झारखंड की पहली राज्यपाल हैं।

ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल गठबंधन सरकार के दौरान, वह 6 मार्च, 2000 से 6 अगस्त, 2002 तक वाणिज्य एवं परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहीं। इसके अलावा 6 अगस्त, 2002 से 16 मई 2004 तक मत्स्य पालन एवं पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री थीं।  मुर्मू 2013 से 2015 तक भगवा पार्टी की एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी थीं। उन्होंने 1997 में एक पार्षद के रूप में चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। उसी वर्ष, उन्हें भाजपा के एसटी मोर्चा का राज्य उपाध्यक्ष चुना गया।

द्रौपदी मुर्मू के व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो उनकी शादी श्याम चरण मुर्मू से हुआ था। उनके दो बेटे और एक बेटी है। मुर्मू का जीवन व्यक्तिगत त्रासदियों से भरा रहा है। उन्होंने अपने पति और दोनों बेटों को खो दिया है। वहीं, उनकी बेटी इतिश्री की शादी गणेश हेम्ब्रम से हुई है।

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