पश्चिम बंगाल स्कूल भर्ती घोटाले में 23,753 लोगों की नौकरी रद

कोलकाता,                    पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को आज बड़ा झटका देते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट की खंडपीठ ने बंगाल के स्कूल भर्ती घोटाले पर फैसला सुनाते हुए सोमवार को 2016 का पूरा पैनल रद करने का निर्देश दिया। हाई कोर्ट ने स्कूल सेवा आयोग की ओर से नौवीं, दसवीं व 11वीं, 12वीं में ग्रुप सी और ग्रुप डी में सभी नियुक्तियों को अवैध ठहराते हुए 23,753 लोगों की नौकरी रद करने का निर्देश दिया। इन लोगों को चार हफ्ते के भीतर 12 प्रतिशत की दर से ब्याज समेत पूरा वेतन लौटाना होगा। कोर्ट ने जिला अधिकारियों को छह हफ्ते के भीतर के इन लोगों से रुपये वसूली करने का निर्देश दिया है।

इसके साथ ही हाई कोर्ट ने स्कूल सेवा आयोग को शून्य पदों पर नई नियुक्ति शुरू करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि सीबीआइ की जांच जारी रहेगी और वह जिसे चाहे हिरासत में ले सकती है। हाई कोर्ट ने 23 लाख परीक्षार्थियों की ओएमआर शीट के पुनर्मूल्यांकन का भी निर्देश दिया।

कोर्ट ने प्रशासन को अगले 15 दिनों में नई नियुक्तियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इस मामले में एक अपवाद सोमा दास के मामले में अदालत ने छूट दी है। कैंसर से पीड़ित होने के नाते उनकी नौकरी सुरक्षित रहेगी।

गौरतलब है कि इस भर्ती घोटाले में तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, दो विधायकों मानिक भट्टाचार्य व जीबनकृष्ण साहा और पार्टी के कई नेताओं कुंतल घोष, शांतनु बंद्योपाध्याय,​​ सुजय कृष्ण भद्र अन्य को गिरफ्तार किया गया है। विपक्षी दलों ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर उंगली उठाई है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री के भतीजे और तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी भी विपक्ष के निशाने पर हैं। इस घोटाले में करोड़ों रुपये, गहने और संपत्ति की बरामदगी हुई है।

हाई कोर्ट के फैसले पर भाजपा नेता व पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा है कि राज्य की मुख्यमंत्री के लिए इससे बड़ी शर्मिंदगी की बात नहीं हो सकती है। वह पूरी तरह भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने इतने दिनों तक परीक्षार्थियों को भुलावे में रखा था।

ममता बनर्जी ने उत्तर बंगाल के रायगंज में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए भाजपा नेताओं पर न्यायपालिका के एक वर्ग और निर्णयों को प्रभावित करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सभी भर्तियों को रद्द करने का अदालत का फैसला अवैध है। हम उन लोगों के साथ खड़े हैं जिन्होंने नौकरियां खो दीं। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि आपको न्याय मिले, और आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।

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