एकनाथ शिंदे गुट ही असली शिवसेना है, स्पीकर राहुल नार्वेकर ने उद्धव गुट को दिया बड़ा झटका

मुंबई,                    16 बागी विधायकों एकनाथ शिंदे, संजय सिरसाट,यामिनी जाधव, महेश शिंदे, अब्दुल सत्तार, गोगावाले, अनिल बाबरी, संजय रायमुनकरी, चिमनराव पाटिल, तानाजी सावंत, रमेश बोनारे, लता सोनवणे, प्रकाश सर्वे,बालाजी कल्याणकारी, बालाजी किनीकारो, संदीपन भुमरे के अयोग्यता पर फैसले में स्पीकर राहुल नार्वेकर ने उद्धव गुट को बड़ा झटका देते हुए अपने फैसले में उन्होंने शिवसेना प्रमुख के अधिकार पर ही सवाल उठा दिए। सवा घंटे तक तमाम कानूनी पहलुओं और फैसलों का उल्लेख करने के बाद उन्होंने उद्धव गुट की उस मांग को खारिज दिया है, जिसमें सीएम शिंदे समेत 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी। नार्वेकर के फैसले के बाद एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बरकरार रहेंगे तो वहीं उद्धव ठाकरे को बड़ी हार मिली है। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने न सिर्फ उद्धव गुट की अपील खारिज की बल्कि पार्टी प्रमुख के तौर उनके द्वारा लिए गए फैसलों पर भी सवाल खड़े किए। नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना (एकीकृत) के संविधान के मुताबिक शिवसेना अध्यक्ष (उद्धव ठाकरे) को शिंदे को नेता पद से हटाने का हक नहीं था।

नार्वेकर ने कहा कि अपने फैसले में पार्टी का संविधान क्या कहता है?, नेतृत्व किसके पास था?, विधानमंडल में बहुमत किसके पास था? को मुख्य आधार बनाया। इन सवालों का जवाब खोजने के लिए उन्होंने चुनाव आयोग के रेकॉर्ड को सही माना। इसके बाद उन्होंने शिंदे के साथ अलग हुए शिवसेना के 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने से इंकार करते हुए उद्धव ठाकरे की अपील खारिज की दी। शिवसेना के 16 विधायकों की अयोग्यता के मामले में फैसला लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नार्वेकर को 10 जनवरी की डेडलाइन दी थी। राहुल नार्वेकर ने अपने फैसले में कहा कि मैंने अयोग्यता के मामले में निर्णय लेते वक्त चुनाव आयोग के फैसले को ध्यान में रखा।

नार्वेकर ने कहा कि मैं चुनाव आयोग के फैसले से बाहर नहीं जा सकता था। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के रेकॉर्ड में शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना का 2018 का संविधान मान्य नहीं है, क्योंकि इसके बाद शिवसेना में कोई चुनाव नहीं हुआ। इसलिए पार्टी का आखिरी संविधान 1999 का ही है। उन्होंने कहा कि संविधान में हुआ संशोधन रेकॉर्ड में नहीं है। उन्होंने कहा कि 21 जून, 2022 को हुआ उसे समझना होगा। नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना में फैसले लेने के लिए सबसे बड़ी संस्था राष्ट्रीय कार्यकारिणी है। नार्वेकर ने उद्धव अकेले फैसले नहं ले सकते थे। उन्होंने उनके फैसलों को भी गलत करार दिया।

महाराष्ट्र राज्य विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी के 2018 के संशोधित संविधान के अनुसार शिवसेना के नेतृत्व ढांचे पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 2013 और 2019 में नेतृत्व चुनने के लिए शिवसेना में कोई चुनाव नहीं हुआ। इसका कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं।

शिवसेना (यूबीटी) को पहला बड़ा झटका। महाराष्ट्र राज्य विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना के संशोधित संविधान को मानने से इनकार कर दिया, लेकिन पुराने और असंशोधित संविधान के आधार पर ही आदेश देने का फैसला किया।

महाराष्ट्र राज्य विधानसभा ने कहा कि ईसीआई ने पार्टी के रूप में प्रस्तुत और स्वीकार किए गए संविधान पर विचार किया जाएगा, न कि हाल ही में 2018 में किए गए संशोधित संविधान पर। उन्होंने फैसला देते समय संशोधित संविधान पर विचार करने की शिवसेना (यूबीटी) की मांग को खारिज कर दिया।

महाराष्ट्र राज्य विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने अपने आदेश में कहा कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद, यह स्पष्ट है कि संविधान और अन्य मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच कोई सहमति नहीं है। निर्विवाद संविधान माना जाएगा न कि 2018 में किया गया संशोधित संविधान। यह संविधाना 1999 का है।

महाराष्ट्र राज्य विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सीएम एकनाथ शिंदे सहित 16 शिवसेना विधायकों को उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियों का हवाला देते हुए अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों की रिपोर्ट इन विधायकों को निष्कासित करने का आधार नहीं हो सकती और उन्हें संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।

महाराष्ट्र राज्य विधानसभा अध्यक्ष ने सीएम एकनाथ शिंदे समेत 16 शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराने से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें अयोग्य ठहराने का कोई वैध आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे ही शिवसेना और पार्टी के असली नेता हैं। शिंदे को डी व्हिप नियुक्त करने का भी अधिकार है।

शिंदे गुट के पास 37 विधायकों का समर्थन है यानी बहुमत, तो शिंदे गुट ही असली शिव सेना और असली राजनीतिक दल है। इसलिए सचेतक के रूप में सुनील प्रभु की नियुक्ति को जब्त कर लिया गया है, इसलिए मुख्य सचेतक के रूप में भरत गोगावले की नियुक्ति वैध है।

महाराष्ट्र राज्य विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि एक पार्टी के रूप में नेतृत्व तय करने के लिए शिवसेना में सामग्री (मैटेरियल) का अभाव है और उनका नेतृत्व राजनीतिक दल के रूप में होगा और उनकी और पार्टी की इच्छा के अनुसार उनके द्वारा नियुक्त व्हिप होगा।

इस मामले को लेकर अब रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के अध्यक्ष और केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के फैसले का स्वागत करते हुए उसे संविधान के मुताबिक बताया। अठावले ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के फैसले का आगामी लोकसभा चुनाव में फायदा होगा। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे जी की कुर्सी बच गई, लेकिन उद्धव ठाकरे के गुट में हलचल मच गई। विधानसभा अध्यक्ष ने जो फैसला दिया वह नियम और कानून के मुताबिक है। 2/3 बहुमत के हिसाब से एकनाथ शिंदे के पास 37 विधायक हैं। इसी वजह से चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे की शिवसेना को सही माना। उन्होंने कहा कि राहुल नार्वेकर ने फैसला लेते हुए बताया कि शिवसेना के पुराने संविधान को ही स्वीकार किया जा सकता है, नये संविधान को नहीं। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि सुनील प्रभु ने उद्धव ठाकरे के आदेश पर एकनाथ शिंदे के साथ 16 विधायकों को निलंबित करने का फैसला लिया था ऐसे में उद्धव ठाकरे के पास अकेले किसी को पार्टी से निकालने का अधिकार नहीं है।

रामदास अठावले ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने एकनाथ शिंदे के पक्ष में फैसला दिया है और उद्धव ठाकरे को बहुत बड़ा झटका लगा है। राहुल नार्वेकर जी ने जो निर्णय लिया है उसका मैं स्वागत करता हूं। अब एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री के तौर पर बरकरार रहेंगे और असली शिवसेना एकनाथ शिंदे की है।

 

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