तेलंगाना में बीआरएस विधायक कादियाम श्रीहरि और उनकी बेटी कादियाम काव्या कांग्रेस में शामिल

हैदराबाद,               तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) विधायक कादियाम श्रीहरि और उनकी बेटी कादियाम काव्या कांग्रेस में शामिल हो गए। तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और एआईसीसी प्रभारी दीपा दासमुंशी की मौजूदगी में विधायक कादियाम श्रीहरि और उनकी बेटी कादियाम काव्या कांग्रेस में शामिल हुए।

बता दें कि भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने विधायक कादियाम श्रीहरि की बेटी कादियाम काव्या को वारंगल लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा था। हालांकि, उन्होंने वहां से चुनाव लड़ने से मना कर दिया।

उल्लेखनीय है कि कदियाम श्रीहरि लंबे समय तक तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) से जुड़े रहे। वह संयुक्त आंध्र प्रदेश में मंत्री रहे। 2013 में वह बीआरएस में शामिल हो गए थे। कदियाम श्रीहरि ने साल 2014 में वारंगल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और उन्होंने जीत हासिल की थी। बाद में मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव ने उन्हें तेलंगाना का डिप्टी सीएम बनाया था और उन्हें शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी दी थी।

कांग्रेस नेताओं ने दो दिन पूर्व पिता-पुत्री की जोड़ी को सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। तेलंगाना के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्रीहरि ने अपने समार्थकों के साथ बैठक के बाद यह निर्णय लिया। श्रीहरि हाल के चुनावों में स्टेशन घनपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा के लिए चुने गए थे। उनकी बेटी को वारंगल लोकसभा सीट के लिए बीआरएस उम्मीदवार घोषित किया गया था, लेकिन 28 मार्च को उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। अभी यह स्पष्ट नहीं कि कांग्रेस वारंगल लोकसभा सीट से श्रीहरि या उनकी बेटी को मैदान में उतारेगी या नहीं।

वारंगल लोकसभा सीट से बीआरएस से चुनाव लड़ने से पीछे हटते हुए काव्या ने बीआरएस प्रमुख केसीआर को लिखा कि पार्टी नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार, अतिक्रमण, फोन टैपिंग और शराब घोटाले के आरोपों ने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जिले में बीआरएस नेताओं के बीच समन्वय और सहयोग की कमी के कारण पार्टी कमजोर हुई है। बीआरएस ने मौजूदा सांसद पसुनुरी दयाकर का टिकट काटने के बाद काव्या को मैदान में उतारने का फैसला किया था। इससे नाराज होकर दयाकर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गये। दयाकर 2015 के उपचुनाव में और 2019 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट वारंगल से चुने गए थे।

एक प्रमुख एससी नेता श्रीहरि ने 1980 के दशक में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के साथ अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी। उन्होंने संयुक्त आंध्रप्रदेश में एन. टी. रामाराव और चंद्रबाबू नायडू के मंत्रिमंडलों में मंत्री के रूप में भी काम किया। वह टीडीपी महासचिव और पोलित ब्यूरो के सदस्य भी रहे। वारंगल जिले के स्टेशन घनपुर से चार बार विधायक रहे। वह 2013 में टीआरएस (अब बीआरएस) में शामिल हो गए।

वह 2014 में टीआरएस के टिकट पर वारंगल से लोकसभा के लिए चुने गए, लेकिन अगले साल बीआरएस अध्यक्ष और तत्कालीन मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव ने उन्हें उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के रूप में कैबिनेट में शामिल किया। श्रीहरि ने दो दिन पहले दीपा दासमुंशी और अन्य नेताओं से मुलाकात के बाद कहा था,“विभिन्न कारणों से, लोग बीआरएस से दूर जा रहे हैं। लोगों की सेवा करने और निर्वाचन क्षेत्र के लिए कुछ करने के लिए हमें एक निर्णय लेना होगा।”

बीआरएस की हैदराबाद मेयर विजयलक्ष्मी गडवाल के सत्तारूढ़ दल में शामिल होने के एक दिन बाद श्रीहरि और उनकी बेटी कांग्रेस में शामिल हुए। विजयलक्ष्मी बीआरएस महासचिव और सांसद के. केशव राव की बेटी हैं, जिन्होंने भी कांग्रेस पार्टी में शामिल होने का फैसला किया है।

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