एक अक्तूबर से सामान के बिल होंगे ऑनलाइन

नई दिल्ली, माल को एक स्थान से दूसरे स्थान भेजने के लिए एक अक्तूबर से सामान के बिल भी ऑनलाइन ही बनेंगे। ये बिल जीएसटीएम द्वारा जारी सॉफ्टवेयर पर तैयार होंगे। पहले चरण में ये नियम बड़ी फर्मों पर लागू होगा। इसके बाद इसे सभी पर लागू कर दिया जाएगा। इस नियम के बाद बड़े पैमाने पर हो रही टैक्स चोरी पर अंकुश लगेगा। फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के मामलों पर रोक लगेगी। 

जीएसटी आने के बाद हो रही टैक्स चोरी बढ़ गई है। टैक्स चोरों ने नए-नए रास्ते निकाल लिए हैं। नए सिस्टम में व्यापारी द्वारा भेजे जाने वाले माल का ब्योरा, वजन, मूल्य और टैक्स की जानकारी पोर्टल पर फीड करनी होगी। इस प्रक्रिया को पूरी करने के बाद पोर्टल से ई-इनवायस जनरेट होगी। इसी इनवायस के आधार पर व्यापारी ई-वे बिल जारी करेंगे। पोर्टल पर इनवायस दर्ज होते ही जीएसटी अधिकारियों की नजर में आ जाएगी। 

वरिष्ठ कर सलाहकार सीए अतुल मेहरोत्रा ने बताया कि पहले चरण में इस व्यवस्था को 500 करोड़ रुपए से अधिक के टर्नओवर वाली कंपनियां और व्यापारियों के लिए अनिवार्य किया गया है। इसके बाद इसे चरणबद्ध रूप से सभी व्यापारियों पर लागू किया जाएगा। इसकी सख्ती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अगर फर्म को अपनी इकाई से बाहर शहर के भीतर भी कहीं माल भेजना होगा तो इसे ई-इनवायस जनरेट करना होगा। यह बिल सभी जगह एक समान रूप से बनेंगे। इसका एक मानक फॉर्मेट होगा। इससे सामान में हेरफेर, नगों की संख्या में हेरफेर, उत्पाद के नाम पर हेरफेर और टैक्स छूट में जालसाजी रुकेगी।

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